Friday, June 3, 2011

क्या जरुरत है, किसी अन्ना हजारे या बाबा को हीरो बनाने की?

हम सब जानते हैं कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है, परुन्तु हम यह क्यूँ नहीं सोचते बाकी सभी मछ्लिएँ मिल कर गन्दी मछली को खदेड़ दें ...

क्या आप का अपने घर, मुहुले, गाँव, शहर या देश को साफ़ रखने या करने का कोई कर्त्तव्य नहीं हैं?

क्यूँ आप किसी नेता, अन्ना हजारे या बाबा आदि की पर्तीक्षा कर रहे हैं?

कब तक हम खोखले, कमज़ोर या अग्रेजी सविधान पर आधारित कानून से देश के लोगोँ को हांकते रहेंगे?

कोई राष्टरपति, प्रधान-मंत्री या मुख्य-न्यायधीश जनता के प्रति जवाब देय क्यूँ ना हो?

क्यूँ हम अपनी भारतीय संस्कृति छोड़ कर औरोँ के पीछे भाग रहे हैं? जबकि हमारे पूर्वज पूरी दुनिया को तास्ता दिखाते आए हैं.

क्यूँ पढ़े-लिखे, वकील, डाक्टर, इंजिनियर या  प्रोफेस्सर आदि के मत-दान की गिनती भी अनपढ़, मजदूर या ऐसे लोगोँ में की जाती हैं जो मत-दान का मतलब भी नहीं भी जानते?

पुरे ६३ साल से सवतंत्र हो कर आज भी हम दबी आवाज में बात करते हैं, रोटी, कपड़ा व मकान को तरसते हैं और मत बेचने को मजबूर हैं...

अपने आप को पहचानो, जागो और अपने भाई-बंदु, मित्र, रिश्तेदार व पडोसी लोगोँ को भी जगाओ...