Friday, December 14, 2012

रिश्वतखोरी या करप्शन

रिश्वतखोरी या करप्शन शुरु होती है जब रिश्वत लेने वाला बिकने के लिए त्यार हो जाता है; वह अपनी कदर भूल जाता है, भूल जाता है कि उसको इस मुकाम तक कौन लाया -- उसको इस मुकाम तक पोंहचने के कबिल किस ने बनाया, कैसे उसके माता-पिता ने उसको पढ़ाया और कैसे उसके अध्यापकों ने उसका चरित्तर निर्माण किया। भूल जाता है कि उसका यह खरीदार, यह पैसेवाला, यह रिश्वत देने वाला उसका जमीर खरीदने आया है और इस पैसेवाले ने आज तक उसको ऑफिसर बनाने में कोई सहायता नहीं की; ये पैसेवाला आज उसको रिश्वतखोर बना कर हमेशा के लिए दागदार कर देगा।

क्या किसी ने रिश्वत लेते वकत कभी ऐसा सोचा है? लगता है नहीं, कयोंके हम अपने संस्कार भूल चुके हैं, भूल चुके हैं कि हमारे पूर्वज कितने महान थे।